Tuesday, February 9, 2010

चलते रहना है हमको,

जिस पथ पर जाना ना हो, उस पर पग ही क्यों धरें ?राह जो मंजिल की है, कितनी भी मुश्किल क्यों डरें 1
चलते रहना है हमको, मंजिल जब तक ना मिले जीवन चाहे मिट जाये, हौसला फिर भी ना हिले 2
हम भटकने वालों में से नहीं, हमें पता अपनी मंजिल अब हमारा मन भी यही, यही है हमारा दिल 3
चाहे कितने भी हों प्रलोभन, चमक और सुख अनेक चलना बस उसी पर है, चुनी है जो राह एक 4
क्या हुआ जो सुख ना मिले, ना मिले अपना कोई चलना सच्चाई की राह पर, था मेरा सपना यही 5
क्यों ना आयें पल पल, कांटे अनेकों सामनें सत्य की शक्ति हमेशा, साथ है मुज्ञको थामनें 6
मिलेगी जब मंजिल मुज्ञे, वह क्षण कितना अनुपम होगा यही सोच कर हर पल, चलना प्रतिक्षण होगा 7

4 comments:

Sunil Kumar said...

क्यों ना आयें पल पल, कांटे अनेकों सामनें सत्य की शक्ति हमेशा, साथ है मुज्ञको थामनें
सुन्दर विचार, इसी पर अड़े रहना , शुभकामनाये

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत अच्छी कविता है, थोड़ा फार्मेटिंग कर लें।

विभूति" said...

very nice...

डॉ. मोनिका शर्मा said...

Sunder Rachna.....