Tuesday, February 9, 2010

एक चादर में लिपटे दो बदन *

एक चादर में लिपटे दो बदन *तेरी चांदनी में नहाऊं मैं और हर तरफ बस अंधेरा हो,
एक चादर में लिपटे दो बदन, एक तेरा हो और एक मेरा हो
तेरे मखमली बदन में,खुशबुऒं के चमन में
सदियों तक वो रात चले,सदियों दूर सवेरा हो
एक चादर में लिपटे दो बदन , एक तेरा हो एक मेरा हो
तेरे होठों को सिल दूं मैं अपने होठों के धागे से
एक सन्नाटे में खामोशी से, तेरी बाहों ने मुझको घेरा हो
एक चादर में लिपटे दो बदन, क तेरा हो और एक मेरा हो
दोनों लिपटें एक दूजे से, गांठ सी लग जाए बदनों में
मेरे जिस्म में घर मिल जाए तुझे, तेरे जिस्म में मेरा बसेरा हो
एक चादर में लिपटे दो बदन, एक तेरा हो और एक मेरा हो
आज मन कहता है कि कुछ ऐसा हो, तू बन जाए मैं , मैं बन जाऊं तू
बिस्तर पे तेरे मेरे सिवा,सिर्फ ज़ुनून और खामोशी का डेरा हो
एक चादर में लिपटे दो बदन, एक तेरा हो और एक मेरा हो!!!!

हर चहरे मे कुछ तोह एह्साह है,

हर चहरे मे कुछ तोह एह्साह है,
आपसे दोस्ती हम यूं ही नही कर बैठे,
क्या करे हमारी पसंद ही कुछ “ख़ास” है. .
चिरागों से अगर अँधेरा दूर होता,
तोह चाँद की चाहत किसे होती.
कट सकती अगर अकेले जिन्दगी,
तो दोस्ती नाम की चीज़ ही न होती.
कभी किसी से जीकर ऐ जुदाई मत करना,
इस दोस्त से कभी रुसवाई मत करना,
जब दिल उब जाए हमसे तोह बता देना,
न बताकर बेवफाई मत करना.
दोस्ती सची हो तो वक्त रुक जता है
अस्मा लाख ऊँचा हो मगर झुक जता है
दोस्ती मे दुनिया लाख बने रुकावट,
अगर दोस्त सचा हो तो खुदा भी झुक जता है.
दोस्ती वो एहसास है जो मिटती नही.
दोस्ती पर्वत है वोह, जोह झुकता नही,
इसकी कीमत क्या है पूछो हमसे,
यह वो “अनमोल” मोटी है जो बिकता नही . . .
सची है दोस्ती आजमा के देखो..
करके यकीं मुझपर मेरे पास आके देखो,
बदलता नही कभी सोना अपना रंग ,
चाहे जितनी बार आग मे जला के देखो

कितना प्यार करोगे दोस्त को

किसी ने पूछा दोस्त क्या है ?मैने काँटो पैर चल कर बता दिया
कितना प्यार करोगे दोस्त को?मैने पूरा आसमान दिखा दिया
कैसे रखोगे दोस्त को?मैने हल्के से फूलों को सेहला दिया
किसी की नज़र लग गयी तो ?मैने पल्को में उस को चुपा लिया
जान से भी प्यारा दोस्त किसे केहते हो ?मैने आपका नाम बता दिया.

मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..

मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
हैं फ़ूल रोकते, काटें मुझे चलाते..मरुस्थल, पहाड चलने की चाह बढाते..सच कहता हूं जब मुश्किलें ना होती हैं..मेरे पग तब चलने मे भी शर्माते..मेरे संग चलने लगें हवायें जिससे..तुम पथ के कण-कण को तूफ़ान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
अंगार अधर पे धर मैं मुस्काया हूं..मैं मर्घट से ज़िन्दगी बुला के लाया हूं..हूं आंख-मिचौनी खेल चला किस्मत से..सौ बार म्रत्यु के गले चूम आया हूं..है नहीं स्वीकार दया अपनी भी..तुम मत मुझपर कोई एह्सान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
शर्म के जल से राह सदा सिंचती है..गती की मशाल आंधी मैं ही हंसती है..शोलो से ही श्रिंगार पथिक का होता है..मंजिल की मांग लहू से ही सजती है..पग में गती आती है, छाले छिलने से..तुम पग-पग पर जलती चट्टान धरो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
फूलों से जग आसान नहीं होता है..रुकने से पग गतीवान नहीं होता है..अवरोध नहीं तो संभव नहीं प्रगती भी..है नाश जहां निर्मम वहीं होता है..मैं बसा सुकून नव-स्वर्ग “धरा” पर जिससे..तुम मेरी हर बस्ती वीरान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
मैं पन्थी तूफ़ानों मे राह बनाता..मेरा दुनिया से केवल इतना नाता..वेह मुझे रोकती है अवरोध बिछाकर..मैं ठोकर उसे लगाकर बढ्ता जाता..मैं ठुकरा सकूं तुम्हें भी हंसकर जिससे..तुम मेरा मन-मानस पाशाण करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं..तुम मत मेरी मंजिल आसान करो..
हैं फ़ूल रोकते, काटें मुझे चलात

एक दोस्त की तलाश है मुझे

इतने दोस्तो मे भी एक दोस्त की तलाश है मुझेइतने अपनो मे भी एक अपने की प्यास है मुझे
छोड आता है हर कोइ समन्दर के बीच मुझे……..अब डूब रहा हु तो एक सािहल की तलाश है मुझे
लडना चाहता हु इन अन्धेरो के गमो सेबस एक शमा के उजाले की तलाश है मुझे
तग आ चुका हु इस बेवक्त की मौत से मैअब एक हसीन palak की तलाश है मुझे
दीवना हु मै सब यही कह कर सताते है मुझेजो मुझे समझ सके उस शख्श की तलाश है मुझे ………………………..

वो ना आए उनकी याद आकर वफ़ा कर गयी

वो ना आए उनकी याद आकर वफ़ा कर गयी ,उनसे मिलने की तम्मना सुकून तबाह कर गयी .
आहट हुई तो सोचा असर दुआ कर गयी ,दरवाज़ा खोला तो मज़ाक हम से हवा कर गयी .
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दिल के पास आकर जब वो दूर हो गए ,सारी हँसी ख्वाब मे चूर हो गए .
हमने वफ़ा निभाई तो बदनामीया मिली ,जो बेफ़वा थे वो मशहूर हो गए .
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ए खुदा आज ये फ़ैसला कर दे ,उसे मेरा या मुझे उसका कर दे .
बहुत दुख सहे है मेने ,कोई ख़ुशी अब तो मुक़र्रर कर दे .
बहुत मुश्किल लगता है उससे दूर रहना ,जुदाई का सफ़र कुछ तो कम कर दे .
जितना दूर चले गए है वो मुझसे ,उसे उतना क़रीब कर दे .
नही लिखा अगर नसीब मे उसका नाम ,तो ख़त्म कर दे ये ज़िंदगी और मुझे फ़न्ना कर दे

मुस्कुराना चाह्ता हूं, मैं..

खुद से बेख़बरमैं क्या बता सकता हूँ ?
एक ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं..खुशी हो या गम, बस मुस्कुराना चाह्ता हूं, मैं..
दोस्तॊं से दोस्ती तो हर कोई निभाता है..दुश्मनों को भी अपना दोस्त बनाना चाहता हूं, मैं..
जो हम उडे ऊचाई पे अकेले, तो क्या नया किया..साथ मे हर किसी के पंख फ़ैलाना चाह्ता हूं, मैं..
वोह सोचते हैं कि मैं अकेला हूं उन्के बिना..तन्हाई साथ है मेरे, इतना बताना चाह्ता हूं..
ए खुदा, तमन्ना बस इतनी सी है.. कबूल करना..मुस्कुराते हुए ही तेरे पास आना चाह्ता हूं, मैं..
बस खुशी हो हर पल, और मेहकें येह गुल्शन सारा “अभी”..हर किसी के गम को, अपना बनाना चाह्ता हूं, मैं..
एक ऐसा गीत गाना चाह्ता हूं, मैं..खुशी हो या गम, बस मुस्कुराना चाह्ता हूं, मैं

खुशी भी दोस्तो से है,

खुशी भी दोस्तो से है,गम भी दोस्तो से है,
तकरार भी दोस्तो से है,प्यार भी दोस्तो से है,
रुठना भी दोस्तो से है,मनाना भी दोस्तो से है,
बात भी दोस्तो से है,मिसाल भी दोस्तो से है,
नशा भी दोस्तो से है,शाम भी दोस्तो से है,
जिन्दगी की शुरुआत भी दोस्तो से है,जिन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है,
मौहब्बत भी दोस्तो से है,इनायत भी दोस्तो से है,
काम भी दोस्तो से है,नाम भी दोस्तो से है,
ख्याल भी दोस्तो से है,अरमान भी दोस्तो से है,
ख्वाब भी दोस्तो से है,माहौल भी दोस्तो से है,
यादे भी दोस्तो से है,मुलाकाते भी दोस्तो से है,
सपने भी दोस्तो से है,अपने भी दोस्तो से है,
या यूं कहो यारो,अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से

ऐसा दोस्त चाहिए

ऐसा दोस्त चाहिए जो हमे अपना मान सके,जो हमारा दिल को जान सके,चल रहा हो हम तेज़ बेरिश मे,फिर भी पानी मे से आँसुओ को पहचान सकेख़ुश्बू की तरह मेरी सांसो मे रेहाना……लहू बनके मेरी नसनस मे बेहाना,दोस्ती होती है रिस्तो का अनमोल गहनाइसलिया इस दोस्ती को कभी अलविदा ना कहनायाद आए कभी तो आँखें बंद मत करनाहम ना भी मिलें तो गम मत करना!!!!ज़रूरी तो नही के हम नेट पेर हैर रोज़ मिलेंमगर ये दोस्ती का एहसास कभी कम मत करनादोस्ती उन से करो जो निभाना जानते होनफ़रत उन से करो जो भूलना जानते होग़ुस्सा उन से करो जो मानना जनता होप्यार उनसे करो जो दिल लुटाना जनता होबहते अश्को की ज़ुबान नही होती,लफ़्ज़ों मे मोहब्बत बयां नही होती,मिले जो प्यार तो कदर करना,किस्मत हर कीसी पर मेहरबां नही होती.ज़िंदगी गमो का पुलिंदा है,ख़ुशियाँ आज कल चुनिंदा हैऐसा दोस्त चाहिए जो हमे अपना मान सके,जो हमारा दिल को जान सके,चल रहा हो हम तेज़ बेरिश मे,फिर भी पानी मे से आँसुओ को पहचान सकेख़ुश्बू की तरह मेरी सांसो मे रेहाना……लहू बनके मेरी नसनस मे बेहाना,दोस्ती होती है रिस्तो का अनमोल गहनाइसलिया इस दोस्ती को कभी अलविदा ना कहनायाद आए कभी तो आँखें बंद मत करनाहम ना भी मिलें तो गम मत करना!!!!ज़रूरी तो नही के हम नेट पेर हैर रोज़ मिलेंमगर ये दोस्ती का एहसास कभी कम मत करनादोस्ती उन से करो जो निभाना जानते होनफ़रत उन से करो जो भूलना जानते होग़ुस्सा उन से करो जो मानना जनता होप्यार उनसे करो जो दिल लुटाना जनता होबहते अश्को की ज़ुबान नही होती,लफ़्ज़ों मे मोहब्बत बयां नही होती,मिले जो प्यार तो कदर करना,किस्मत हर कीसी पर मेहरबां नही होती.ज़िंदगी गमो का पुलिंदा है,ख़ुशियाँ आज कल चुनिंदा है

चलते रहना है हमको,

जिस पथ पर जाना ना हो, उस पर पग ही क्यों धरें ?राह जो मंजिल की है, कितनी भी मुश्किल क्यों डरें 1
चलते रहना है हमको, मंजिल जब तक ना मिले जीवन चाहे मिट जाये, हौसला फिर भी ना हिले 2
हम भटकने वालों में से नहीं, हमें पता अपनी मंजिल अब हमारा मन भी यही, यही है हमारा दिल 3
चाहे कितने भी हों प्रलोभन, चमक और सुख अनेक चलना बस उसी पर है, चुनी है जो राह एक 4
क्या हुआ जो सुख ना मिले, ना मिले अपना कोई चलना सच्चाई की राह पर, था मेरा सपना यही 5
क्यों ना आयें पल पल, कांटे अनेकों सामनें सत्य की शक्ति हमेशा, साथ है मुज्ञको थामनें 6
मिलेगी जब मंजिल मुज्ञे, वह क्षण कितना अनुपम होगा यही सोच कर हर पल, चलना प्रतिक्षण होगा 7

दोस्ती में..

दोस्ती नाम नहीं सिर्फ़ दोस्तों के साथ रेहने का..बल्कि दोस्त ही जिन्दगी बन जाते हैं, दोस्ती में..
जरुरत नहीं पडती, दोस्त की तस्वीर की.देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में..
येह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज..दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में..
नाम की तो जरूरत हई नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी..पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में..
कौन केहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी..दूर रेह्कर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं, दोस्ती में..
सिर्फ़ भ्रम हे कि दोस्त होते ह अलग-अलग..दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में..
माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लिये “अभी”पर हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..
ओर एक ही दवा है गम की दुनिया में क्युकि..भूल के सारे गम, दोस्तों के साथ मुस्कुराते हैं, दोस्ती

खुशी भी दोस्तो से है,

खुशी भी दोस्तो से है,गम भी दोस्तो से है,
तकरार भी दोस्तो से है,प्यार भी दोस्तो से है,
रुठना भी दोस्तो से है,मनाना भी दोस्तो से है,
बात भी दोस्तो से है,मिसाल भी दोस्तो से है,
नशा भी दोस्तो से है,शाम भी दोस्तो से है,
जिन्दगी की शुरुआत भी दोस्तो से है,जिन्दगी मे मुलाकात भी दोस्तो से है,
मौहब्बत भी दोस्तो से है,इनायत भी दोस्तो से है,
काम भी दोस्तो से है,नाम भी दोस्तो से है,
ख्याल भी दोस्तो से है,अरमान भी दोस्तो से है,
ख्वाब भी दोस्तो से है,माहौल भी दोस्तो से है,
यादे भी दोस्तो से है,मुलाकाते भी दोस्तो से है,
सपने भी दोस्तो से है,अपने भी दोस्तो से है,
या यूं कहो यारो,अपनी तो दुनिया ही दोस्तो से